आज समाज में धर्म के नाम पर पाखंड बहुत बढ़ गया है l संसार का कोई भी धर्म हो उसमे अब धर्म ने व्यवसाय का रूप ले लिया है , धर्म की ठेकेदारी भी रोजगार है l इस क्षेत्र में अच्छे लोग भी हैं लेकिन एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है l
धर्म का ऐसा रूप युगों से चला आ रहा है l अब जनसँख्या बढ़ने से परिस्थितियां बदल गई हैं l धर्म के नाम पर होने वाले कार्यों में इतनी भीड़ और शोर - शराबा होता है कि अपराधी को अपने कार्यों को अंजाम देने का पूरा मौका मिल जाता है l छोटे बच्चों का खो जाना , उनका अपहरण , बच्चियों और महिलाओं से शर्मनाक व्यवहार ऐसी ही भीड़ का फायदा उठाकर अपराधी करता है l
समाज को जागरूक होना पड़ेगा कि अपनी छोटी - छोटी बचतों को क्षणिक मनोरंजन के लिए ऐसे कर्मकाण्डों पर खर्च न कर किसी सकारात्मक कार्य में लगाये तो उसे गरीबी और बेरोजगारी का रोना न रोना पड़े l
धर्म का ऐसा रूप युगों से चला आ रहा है l अब जनसँख्या बढ़ने से परिस्थितियां बदल गई हैं l धर्म के नाम पर होने वाले कार्यों में इतनी भीड़ और शोर - शराबा होता है कि अपराधी को अपने कार्यों को अंजाम देने का पूरा मौका मिल जाता है l छोटे बच्चों का खो जाना , उनका अपहरण , बच्चियों और महिलाओं से शर्मनाक व्यवहार ऐसी ही भीड़ का फायदा उठाकर अपराधी करता है l
समाज को जागरूक होना पड़ेगा कि अपनी छोटी - छोटी बचतों को क्षणिक मनोरंजन के लिए ऐसे कर्मकाण्डों पर खर्च न कर किसी सकारात्मक कार्य में लगाये तो उसे गरीबी और बेरोजगारी का रोना न रोना पड़े l
No comments:
Post a Comment