मनुष्य के भीतर देव और दानव दोनों है l विज्ञान ने मनुष्य को संवेदन हीन बना दिया है , उसके भीतर का राक्षस जाग गया है l धन और पद व्यक्ति को अहंकारी, दम्भी बना देता है और वह अपनी शक्ति का दुरूपयोग करने लगता है l अपने अहंकार की पूर्ति के लिए लोगों पर अत्याचार करते हैं l हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है l गरीबी , भूख , बेरोजगारी इसके साथ उपेक्षा और अपमान ---- यह सब परिस्थितियां व्यक्ति को अपराध की ओर धकेलती हैं , व्यक्ति का तेजी से पतन होने लगता है l अपराधी व्यक्ति कायर होता है l छोटे - छोटे अबोध बच्चों पर जुल्म करना कायरता और राक्षसी प्रवृति है l समस्या की गहराई में जो मूल कारण हैं उनका समाधान करने से ही सुधार संभव है l
No comments:
Post a Comment