केवल व्यक्ति ही नहीं , समाज व राष्ट्र का भी दुर्भाग्य होता है l बुद्धि ऐसी भ्रष्ट हो जाती है कि गलत काम करने वाले , अपराधी और मर्यादाहीन आचरण करने वाले समाज में बहुत शान से रहते हैं , डर से ही सही उनका समाज में आदर होता है , इसके विपरीत सच्चाई व ईमानदारी से काम करने वालों को उपेक्षित किया जाता है l उन्हें हर तरह से तंग किया जाता है l अच्छाई को संगठित होना पड़ेगा l
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