इस धरती पर हर तरह की मानसिकता के लोग होते हैं l अनेक लोग जानवरों की लड़ाई देख कर या उन्हें मारकर प्रसन्न होते हैं तो अनेक ऐसी विकृत मानसिकता के लोग भी होते हैं जो इनसानों को लड़ा कर , बेवजह उनका खून बहा कर प्रसन्न होते हैं l हम सबकी मानसिकता को नहीं बदल सकते , हमें स्वयं विवेक से काम लेना होगा , अपने जीवन की प्राथमिकताएं तय करनी होंगी l लेकिन कभी - कभी व्यक्ति की मजबूरी हो जाती है , आज के समय में दंगे - फसाद , खून - खराबा भी एक विशेष प्रकार का रोजगार का साधन हो गया है l
आज ' मानव - धर्म ' जरुरी है , जिसमे हर धर्म की अच्छी बातों को लिया जाये , जो इंसानियत और नैतिकता पर आधारित हो l प्रत्येक व्यक्ति निजी रूप से , अपने व्यक्तिगत जीवन में चाहे जिस भी धर्म के अनुसार कर्मकांड करे लेकिन घर से बाहर नैतिकता और मानवीयता के नियमों का पालन अनिवार्य हो l ऐसा होने पर ही व्यक्ति अनैतिक और अमानवीय रोजगार से दूर रहेगा , ऐसा होने पर ही समाज में शान्ति होगी l यह धर्म भी वैज्ञानिक प्रतिपादन पर आधारित हो , देश व काल के अनुसार हो जैसे ठंडी जलवायु के लोगों के लिए शराब व मांसाहार जरुरी है तो वे इसे लें लेकिन इसके लिए वे अन्य देशों में हाहाकार न मचाएं , अपनी जरुरत अपने देश में पूरी करें , लेकिन भारत जैसे गर्म जलवायु के देशों में लोग हर प्रकार के नशे और मांसाहार से दूर रहें यह अनैतिक और अमानवीय है , इसकी वजह से अपराध बढ़ते हैं l अब चुनाव व्यक्ति के हाथ में है कि सन्मार्ग पर चलकर सुख शांति से रहते हैं , चैन की नींद सोते हैं या अनैतिक और अमर्यादित रहकर अनिद्रा व अनेक बड़ी बीमारियाँ झेलकर , रोते - खपते जिन्दगी गुजारते हैं l
आज ' मानव - धर्म ' जरुरी है , जिसमे हर धर्म की अच्छी बातों को लिया जाये , जो इंसानियत और नैतिकता पर आधारित हो l प्रत्येक व्यक्ति निजी रूप से , अपने व्यक्तिगत जीवन में चाहे जिस भी धर्म के अनुसार कर्मकांड करे लेकिन घर से बाहर नैतिकता और मानवीयता के नियमों का पालन अनिवार्य हो l ऐसा होने पर ही व्यक्ति अनैतिक और अमानवीय रोजगार से दूर रहेगा , ऐसा होने पर ही समाज में शान्ति होगी l यह धर्म भी वैज्ञानिक प्रतिपादन पर आधारित हो , देश व काल के अनुसार हो जैसे ठंडी जलवायु के लोगों के लिए शराब व मांसाहार जरुरी है तो वे इसे लें लेकिन इसके लिए वे अन्य देशों में हाहाकार न मचाएं , अपनी जरुरत अपने देश में पूरी करें , लेकिन भारत जैसे गर्म जलवायु के देशों में लोग हर प्रकार के नशे और मांसाहार से दूर रहें यह अनैतिक और अमानवीय है , इसकी वजह से अपराध बढ़ते हैं l अब चुनाव व्यक्ति के हाथ में है कि सन्मार्ग पर चलकर सुख शांति से रहते हैं , चैन की नींद सोते हैं या अनैतिक और अमर्यादित रहकर अनिद्रा व अनेक बड़ी बीमारियाँ झेलकर , रोते - खपते जिन्दगी गुजारते हैं l
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