Thursday 25 January 2018

इतिहास से शिक्षा लेना जरुरी है

 एक  समय  था  जब  इस  धरती  पर  कंस , जरासंध   जैसे  लोग  थे  l   कंस  को  जब  पता  चला  कि  उसको  मारने  वाला  गोकुल  में  पैदा  हो  गया  है  ,  तब  वह  उस  वक्त  में  जन्मे  नवजात  बच्चों  को  मृत्यु  के  मुख  में  पहुँचाने  लगा  l  यदि  सद्प्रवृतियों  का  प्रचार - प्रसार  न  हो  तो  ईर्ष्या- द्वेष ,लोभ -  लालच ,  कामना - वासना , अहंकार  आदि  दुष्प्रवृत्तियां   मनुष्य  पर  बुरी  तरह  हावी  हो  जाती  हैं  l  इन  सबके  ऊपर  उस  पर  भय  का  भूत  सवार  हो  जाता  है ,  वह  जिस  भी  स्थिति  में  है ,  उसे  उसके  खोने  का  भय  होता  है  ,  यहाँ  तक  कि  वह  मासूम  बच्चों  से  भी   भयभीत  होता  है  l  छोटे   बच्चों  पर  क्रूरता  कर  के   वे  सब  बच्चों  को  ही  भयभीत  करना  चाहते  हैं  ,  जिससे  बचपन  से  ही  उनका  आत्मविश्वास  कम  हो  जाये  वे  बड़े  होकर  अत्याचार , अन्याय  के  विरुद्ध  खड़े  न  हो  पायें  l
  अब   कृष्ण  के  जन्म  का  इन्त्जार  नहीं  करना  होगा  l  माता - पिता  जागरूक  बने  ,  अपनी   सुख - सुविधा  छोड़कर  बच्चों  की  परवरिश  करें  l  अपने  भोग - विलास  कम  कर  के  लोक - कल्याण  के कार्य  करें ,  नि:स्वार्थ  भाव  से  पुण्य  कार्य  करें  l   ये  पुण्य  कार्य  ही  विपत्तियों  से   बचाते  हैं  l  

Wednesday 24 January 2018

अशांति का कारण है दंड का भय न होना ----

जिस  भी  समाज  में  लोगों  को  दंड  का  भय  नहीं  होता  ,  अपराधी  को  मालूम  होता  है  कि  उसे  बचाने  वाले  बहुत  हैं  इसलिए  वह  हिंसा , तोड़ फोड़ , आगजनी ,  लूटपाट  आदि  अपराध  कर  लोगों  को  आतंकित  करते  हैं  l   ऐसे  अपराधियों  की  किसी  से  व्यक्तिगत  दुश्मनी  नहीं  होती  ये  तो  बस  कठपुतली  हैं  ,  यही  इनकी  आय  का  साधन  है  l   समाज  में  ऐसे  लोगों  की  अधिकता  हो  जाती  है  जो  अन्याय  को  देखकर  आँखें  बंद  कर  लेते हैं   l  

Monday 15 January 2018

दुर्गुणों को सीखकर व्यक्ति बहुत जल्दी अपने जीवन में उतार लेता है

नशा ,  जुआ  आदि  अनेक  दुर्गुण  हैं  जिन्हें   व्यक्ति  तुरंत  अपने  व्यवहार  में  ले  आता  है   और  उन  दुर्गुणों पर  बड़े  नियम  से  अमल  करता  है  l     यह  दोष - दुर्गुण    पीढ़ी - दर -पीढ़ी  चलते  हैं  और  मनुष्य  सामाजिक  प्राणी  है  इसलिए  एक  दूसरे  के  संपर्क  में  आने  से  भी  फैलते  हैं  l   माता - पिता  बच्चों  के  सामने  कितने  ही  आदर्श  बने  रहें    लेकिन  सच  छुपता  नहीं  है  l 
  युगों  की  गुलामी  के  बाद  देश  आजाद  हुआ   तो  लोगों  ने   स्वतंत्रता    के  आनंद  को  स्वच्छंदता  में  बदल  लिया  ,  आने  वाली  पीढ़ियों  को  भौतिक  सुविधाएँ   बहुत  दीं  लेकिन  मानवीय  मूल्यों  का  ज्ञान  नहीं  कराया  l  आज  जो  समाज  में  स्थिति  है  वह  इसी  स्वच्छंदता  का  परिणाम  है  l  

Friday 12 January 2018

अच्छाई को संगठित होना पड़ेगा

जब  अंधकार  सघन  हो  ,  समाज  पर  दुष्टता  हावी  हो  तब  कोई अकेला  उसका  मुकाबला  नहीं  कर  सकता  l  अच्छाई  को  संगठित  होना  जरुरी  है  l   जब  शराबी ,  चोर - उचक्के ,  जुआरी  अपना  मजबूत  संगठन  बना  लेते  हैं    तो  सद्गुण  संपन्न  व्यक्ति  भी  मजबूती  से  संगठित  हो  सकते  हैं  l  अत्याचार  और  अन्याय  के  विरुद्ध  खड़े  होने  का  साहस  कोई  एक  व्यक्ति  भी  करे   तो  धीरे - धीरे  अनेक  लोग  उसके  साथ  जुड़ते  जाते  हैं  l    लेकिन  जब  समाज  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है    तो  धार्मिक , सामाजिक  ,  राजनीतिक  सभी  क्षेत्रों  में   लोग  अपनी - अपनी  दुकान  बचाने  में  लगे  रहते  हैं  l  अपने  व्यक्तित्व  को  मारकर ,  अपने  स्वाभिमान  को  मिटाकर    दूसरों  के  इशारों  पर  चलते  हैं  l  यह  स्थिति  बहुत  कष्टप्रद  है  ,  इससे  तनाव  पैदा  होता  है   और  उससे  जुडी  अनेक  बीमारियाँ   l  समय  रहते  जागरूकता  जरुरी  है  l 

Thursday 11 January 2018

बुराई बड़ी तेजी से फैलती है

    जैसे  पानी  बड़ी  तेजी  से  नीचे  गिरता  है  ,  इसी  तरह  बुरा बनना  बहुत  सरल  है   l  नासमझ  व्यक्ति  तात्कालिक  लाभ  देखता  है   इसलिए  वह  बुरी  आदतों  को  बहुत  जल्दी  अपना  लेता  है  l  दुष्प्रवृत्तियां  संक्रामक  रोग  की  तरह  बड़ी  तेजी  से  फैलती  हैं  l    दंड  का  भय  न  हो  ,   संरक्षण  देने  वाले  अनेक  हों   तब   समाज  में   बड़े - बड़े  अपराध  होते  हैं   और  पतन  इतनी  तेजी  से  होता  है  कि  मनुष्य  ,   पशु  से  भी  बदतर   राक्षस  हो  जाता  है  l   पहले  समय  में  डाकू  अपराधी  समाज  से  बाहर  गिरोह  बनाकर  रहते  थे  l  किसी  परिवार  में  कोई  गलत  रास्ते  पर  चलता  था ,  अपराधी  हो  तो  ऐसे  परिवार  से  मेलजोल  रखना  लोग  अपनी  शान  के  खिलाफ  समझते  थे  l  लेकिन  ये  बातें  अब  दिवास्वप्न  हैं   l  अब  अपराधी  समाज  में  घुलमिल कर  रहते  हैं  ,  उन्हें  सम्मान  भी  मिलता  है ,  मानो  उन्होंने  कोई  किला  जीता  हो  !
      अच्छे  लोग  भी  बहुत  हैं  ,  लेकिन  अंधकार  इतना   सघन  है  कि  उसने  अच्छाई  को  ढक  दिया  है    l 
   सद्भाव से  ,  सद्विचारों  के  प्रचार - प्रसार  से  यह  बुराई  दूर  होगी ,  यह  असंभव  है  l   जब  बीमारी  नस - नस  में  समा  जाये ,  लाइलाज  हो  जाये   तो  उसका  बड़ी  गंभीरता  से  इलाज  करना  पड़ता  है  l 
    समाज  को  जागरूक  होना  होगा  ,  वह  धन - वैभव  को  नहीं  सद्गुणों  को  सम्मान  दे  l   अपने  छोटे - छोटे  स्वार्थ  पूरे  करने  के  लिए   ' गुंडों ' का  '  ' आका '  का  सहारा  न  लें  l  

Monday 8 January 2018

बच्चे अपने माता - पिता का प्रतिरूप होते हैं

    बच्चे  अपने  माता - पिता  का प्रतिरूप  होते  हैं  l  यदि  माता - पिता  में  आलस ,  कामचोरी ,  झूठ  बोलना  ,  बेईमानी , भ्रष्टाचार   आदि  दुर्गुण  हैं   तो  उनके  बच्चे  भी  वैसे  ही  होंगे   l   बहुत  कम  माता - पिता  ऐसे  होते  हैं   जो   स्वयं  गलत  हैं  लेकिन  बच्चों  को  सही  राह  पर  चलने  की  प्रेरणा  देते  है   और   गलत  राह  पर  चलने  से   जीवन  में  आने  वाली मुसीबतों   से  वाकिफ  कराते  हैं  l 
 आज  के  समय  में  तो   लोग  अपने  बच्चों  के  सामने  भी  शराफत  और  चरित्रवान  होने  का  मुखौटा  लगाकर  रहते  हैं  ,  उसके  पीछे  कितनी  कालिमा  है   इसे  छुपाने का  प्रयास  करते  हैं  l 
केवल  सुख - सुविधाएँ  देना  ही  पर्याप्त  नहीं  है , उन्हें  अच्छे  संस्कार  भी  देने  होंगे  l 

Sunday 7 January 2018

आज की सबसे बड़ी जरुरत है एक ' मानव - धर्म ' हो

 इस  धरती  पर  हर  तरह  की  मानसिकता  के  लोग  होते  हैं   l  अनेक  लोग  जानवरों  की  लड़ाई  देख  कर     या  उन्हें  मारकर  प्रसन्न  होते  हैं   तो  अनेक  ऐसी  विकृत  मानसिकता  के  लोग  भी  होते  हैं  जो  इनसानों  को  लड़ा  कर  ,  बेवजह  उनका  खून  बहा  कर  प्रसन्न  होते  हैं   l  हम  सबकी मानसिकता  को  नहीं  बदल  सकते  ,  हमें  स्वयं  विवेक  से  काम  लेना होगा  ,  अपने  जीवन  की  प्राथमिकताएं  तय  करनी  होंगी  l  लेकिन कभी - कभी   व्यक्ति  की  मजबूरी  हो  जाती  है  ,  आज  के  समय  में  दंगे - फसाद ,  खून - खराबा  भी   एक  विशेष  प्रकार  का  रोजगार   का  साधन   हो  गया  है  l 
  आज  ' मानव - धर्म '  जरुरी  है  ,  जिसमे  हर  धर्म  की  अच्छी  बातों को  लिया  जाये  ,  जो  इंसानियत  और  नैतिकता  पर  आधारित  हो  l  प्रत्येक  व्यक्ति  निजी  रूप  से ,  अपने  व्यक्तिगत  जीवन  में  चाहे  जिस  भी  धर्म  के  अनुसार  कर्मकांड  करे  लेकिन  घर  से  बाहर  नैतिकता  और  मानवीयता  के  नियमों  का  पालन  अनिवार्य  हो  l  ऐसा  होने  पर  ही  व्यक्ति   अनैतिक  और  अमानवीय रोजगार  से दूर  रहेगा  ,  ऐसा  होने  पर  ही  समाज  में  शान्ति  होगी   l  यह  धर्म  भी  वैज्ञानिक  प्रतिपादन  पर  आधारित  हो ,  देश  व  काल  के  अनुसार  हो   जैसे   ठंडी  जलवायु  के   लोगों  के  लिए  शराब  व  मांसाहार  जरुरी  है    तो  वे  इसे  लें  लेकिन  इसके  लिए  वे   अन्य   देशों  में  हाहाकार  न  मचाएं ,  अपनी  जरुरत  अपने  देश  में  पूरी  करें  ,  लेकिन  भारत  जैसे  गर्म  जलवायु  के  देशों  में   लोग  हर  प्रकार  के  नशे  और  मांसाहार  से  दूर  रहें  यह  अनैतिक  और  अमानवीय  है  ,  इसकी  वजह  से  अपराध  बढ़ते  हैं  l    अब  चुनाव  व्यक्ति  के  हाथ में  है  कि  सन्मार्ग  पर  चलकर  सुख शांति से  रहते  हैं  ,  चैन  की  नींद  सोते  हैं  या  अनैतिक  और  अमर्यादित  रहकर  अनिद्रा  व  अनेक  बड़ी  बीमारियाँ  झेलकर  ,  रोते - खपते  जिन्दगी  गुजारते  हैं   l  

Saturday 6 January 2018

अत्याचार और अन्याय का कारण अज्ञानता है

  जिस भी  समाज  और  राष्ट्र  के  लोग  भाग्यवादी  होंगे ,  आलसी  होंगे  उन्हें  अत्याचार  सहना  पड़ेगा  l   जन्म  से  तो  कोई  भाग्यवादी  नहीं  होता    l  देश  में  लम्बे  समय  तक  राजाओं  और  सामंतों  ने  गरीबों  का  शोषण  व  अत्याचार  किये    और  अनेक   पढ़े - लिखे  ज्ञान  का  प्रचार  करने  वाले  लोगों  से  यह  बात  गरीबों  के  दिमाग  में  ठूंस - ठूंस  कर  भर  दी  कि  तुम्हारा  भाग्य  खोटा  है ,  तुम  भाग्यहीन  हो  इसीलिए  तुम्हारा  शोषण  हो  रहा  है  l     भाग्यवादी  होने  की  वजह  से  वे  कभी  अत्याचार  व  अन्याय  के  विरुद्ध  खड़े  नहीं  हो  पाए   और  राजा - सामंत  मनमानी  लूट  व  अत्याचार  करते  रहे  l 
    बीच  के  वर्षों  में  अनेक  समाज  सुधारक  हुए  , देश  को  आजादी  मिली   लेकिन  लोगों   की    शोषण  करने  , अन्याय  करने  की  प्रवृति  गई  नहीं    बल्कि  इस  भौतिकवादी  युग  में  बढती  जा  रही  है  l 
      सबसे  पहले  हमें  यह  समझना  होगा   कि  हर  अत्याचारी  भाग्यवान    और  हर  शोषित , निर्धन  भाग्यहीन  नहीं  है    l  शोषण  इसीलिए  होता  है  क्योंकि  हम  जागरूक  नहीं  है  l 
  पहले  यह  समझना  होगा  कि  कोई  हमारी  योग्यता  से  फायदा  उठा  रहा  है  ,  हमारा  हक  छीन  रहा  है  l
 अपने  ऊपर  होने  वाले  अन्याय  को  समझना  होगा   और  फिर  संगठित  होकर   विवेक पूर्ण  ढंग  से  उसका  सामना  करना  होगा  l
अत्याचारी   जब  बहुत  मजबूत  और  संगठित  हो  तब  लड़ाई - झगड़े  और  वाद - विवाद,    से  समस्या   हल  नहीं  होती  ,  विवेक  और  समझदारी  से  कदम  उठाना  चाहिए  l 

Monday 1 January 2018

जागरूकता जरुरी है

 आज  की  सबसे  बड़ी  समस्या  यह  है  कि   व्यक्ति  जागरूक  नहीं  है  l  युगों  की  गुलामी  सहने  के  कारण   लोगों  को  गुलाम  रहने  की  आदत  बन  चुकी  है ,  अब  वे  ' मानसिक  गुलाम '  हो  गए  हैं  |  अपने  छोटे - छोटे  स्वार्थों  के  लिए   वे  समर्थ  लोगों  के  हाथ  की  कठपुतली  बन  जाते  हैं  ,  उनके  एक  इशारे  पर  लड़ने - झगड़ने  और  दंगा - फसाद  करने  पर  उतारू  हो  जाते  हैं  l   थोड़ा  धैर्य  रखकर  सोचना  चाहिए   की  ऐसा करने  से उनका स्वयं  का  क्या  फायदा  है  l   स्वयं  की  जान  को  खतरा , परिवार  असुरक्षित  और  सबसे  बढ़कर   ऐसे  झगड़े - लड़ाई  में  समय  बरबाद  l  ईश्वर  ने  जो  सुख - साधन  दिए,  जब  उन्ही  का  चैन  से  आनंद  न  उठा  पाए ,  तो  ऐसा  जीवन  ही  बेकार  है  l
  हर  पल  बीतने  के  साथ  हमारी  साँसे  घटती  जा  रहीं  है  ,  अब  जो  शेष  बचा  है  उसे  तो  स्वाभिमान  से  जिओ  l   यदि  नेक  रास्ते  पर  चलें ,  थोड़ा - बहुत  दान - पुण्य ,  लोक कल्याण  का  कार्य  करें   तो  हमारी  हर जरुरत  ईश्वर  ही  पूरी  कर  देते  हैं ,  उसके  लिए  किसी  की  गुलामी  की  जरुरत  नहीं  है  l
 धैर्य  , विश्वास  और  जागरूकता  जरुरी  है  l