समाज में एक वर्ग ऐसा तैयार हो गया है जिसका उद्देश्य हर तरीके से धन कमाना , लोगों पर प्रभुत्व जमाना और अपनी झूठी शान को बनाये रखना है l जो उनके इस ' स्वार्थ ' में मदद करते हैं उनकी कठपुतली बन कर रहते हैं , उन्हें हर तरह का लाभांश मिलता रहता है , फिर उनकी जाति, धर्म , वर्ग कुछ भी हो कोई फरक नहीं पड़ता , पुरुष हो या महिला हो , उनके इशारों पर चले तो ठीक अन्यथा जीना मुश्किल कर देंगे l यह वर्ग ' एक्स ' है
दूसरा वर्ग ' वाई ' वह है जिसका विवेक जाग्रत है , वह किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनता , ईमानदारी से जीता है , ईमानदारी उसकी मजबूरी नहीं उसका स्वभाव है , उसके संस्कार हैं l वर्ग 'एक्स ' मन ही मन इससे भयभीत रहता है , इसका ऐसे बायकाट करता है जैसे इसने कोई भयंकर अपराध किया हो l अब ईमानदारी और सच्चाई से जीने वाला अछूतों की श्रेणी में आ गया है l
इस समाज से ऊपर एक प्राकृतिक व्यवस्था है जहाँ तराजू से तोलकर न्याय होता है l जिनके जीवन की दिशा गलत है और जो ऐसे गलत लोगों का , अन्यायी का साथ देते हैं , उन्हें सांसारिक लाभ चाहे जितना मिल जाये लेकिन तरह - तरह की मुसीबतें , परेशानी , अशांति उनके हिस्से में आती है l जो सही मार्ग पर चलते हैं , किसी का अहित नहीं करते हैं उनको परेशानियाँ एक हलके कांटे की तरह छूकर निकल जाती हैं l इस संसार में जो सबसे अनमोल है ' मन की शान्ति ' इनके पास होती है l
प्रत्येक व्यक्ति के सामने ये दोनों रास्ते हैं , व्यक्ति को स्वयं चयन करना है कि वह किस रास्ते पर चले ? अपने स्वाभिमान को खोकर संसार को खुश रखे या अपनी आत्मा को , ह्रदय में बैठे ईश्वर को प्रसन्न कर सिर उठाकर चले l
दूसरा वर्ग ' वाई ' वह है जिसका विवेक जाग्रत है , वह किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनता , ईमानदारी से जीता है , ईमानदारी उसकी मजबूरी नहीं उसका स्वभाव है , उसके संस्कार हैं l वर्ग 'एक्स ' मन ही मन इससे भयभीत रहता है , इसका ऐसे बायकाट करता है जैसे इसने कोई भयंकर अपराध किया हो l अब ईमानदारी और सच्चाई से जीने वाला अछूतों की श्रेणी में आ गया है l
इस समाज से ऊपर एक प्राकृतिक व्यवस्था है जहाँ तराजू से तोलकर न्याय होता है l जिनके जीवन की दिशा गलत है और जो ऐसे गलत लोगों का , अन्यायी का साथ देते हैं , उन्हें सांसारिक लाभ चाहे जितना मिल जाये लेकिन तरह - तरह की मुसीबतें , परेशानी , अशांति उनके हिस्से में आती है l जो सही मार्ग पर चलते हैं , किसी का अहित नहीं करते हैं उनको परेशानियाँ एक हलके कांटे की तरह छूकर निकल जाती हैं l इस संसार में जो सबसे अनमोल है ' मन की शान्ति ' इनके पास होती है l
प्रत्येक व्यक्ति के सामने ये दोनों रास्ते हैं , व्यक्ति को स्वयं चयन करना है कि वह किस रास्ते पर चले ? अपने स्वाभिमान को खोकर संसार को खुश रखे या अपनी आत्मा को , ह्रदय में बैठे ईश्वर को प्रसन्न कर सिर उठाकर चले l
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