चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि तंग वस्त्र और शरीर का प्रदर्शन करने वाले वस्त्र स्वास्थ्य की द्रष्टि से उपयुक्त नहीं हैं l अपनी संस्कृति के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों का विचार है कि ऐसे वस्त्रों में विवेकहीनता और फूहड़पन झलकता है l अपने देश , अपनी संस्कृति के अनुरूप पहनावा ही इस बात कि सूचना देता है कि हम राजनीतिक रूप से ही नहीं , मानसिक और संस्कृतिक रूप से भी स्वतंत्र हैं l
बात उन दिनों कि है जब विश्वविख्यात रसायन वैज्ञानिक डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे l पूरे देश में स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय भावनाएं हिलोरें ले रहीं थीं l डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय का अंतर्मन इनसे अछूता न रह सका l अपने वैज्ञानिक कार्यों के बीच राष्ट्र प्रेम को किस तरह निभाएं ? यह जानने के लिए वे गांधीजी से मिलने गए l
गांधीजी ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा --- " राय महाशय ! इतनी भी जल्दी क्या थी जो आप ऐसे ही चले आये l " महात्मा गाँधी कि बात ने उन्हें हैरानी में डाल दिया , तब गांधीजी ने कहा ---- ------ " विदेशी ढंग के कपड़े पहन कर सही ढंग से राष्ट्र सेवा नहीं की जा सकती l राष्ट्रीय मूल्य , राष्ट्रीय भावनाएं एवं राष्ट्रीय संस्कृति , इन सबकी एक ही पहचान है , अपना राष्ट्रीय वेश - विन्यास l " अब बापू बातें प्रोफेसर राय की समझ में आ गईं l उस दिन से उन्होंने अपना पहनावा पूरी तरह बदल डाला l देशी खद्दर का देशी पहनावा जीवन के अंतिम क्षणों तक उनका साथी रहा l
बात उन दिनों कि है जब विश्वविख्यात रसायन वैज्ञानिक डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे l पूरे देश में स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय भावनाएं हिलोरें ले रहीं थीं l डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय का अंतर्मन इनसे अछूता न रह सका l अपने वैज्ञानिक कार्यों के बीच राष्ट्र प्रेम को किस तरह निभाएं ? यह जानने के लिए वे गांधीजी से मिलने गए l
गांधीजी ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा --- " राय महाशय ! इतनी भी जल्दी क्या थी जो आप ऐसे ही चले आये l " महात्मा गाँधी कि बात ने उन्हें हैरानी में डाल दिया , तब गांधीजी ने कहा ---- ------ " विदेशी ढंग के कपड़े पहन कर सही ढंग से राष्ट्र सेवा नहीं की जा सकती l राष्ट्रीय मूल्य , राष्ट्रीय भावनाएं एवं राष्ट्रीय संस्कृति , इन सबकी एक ही पहचान है , अपना राष्ट्रीय वेश - विन्यास l " अब बापू बातें प्रोफेसर राय की समझ में आ गईं l उस दिन से उन्होंने अपना पहनावा पूरी तरह बदल डाला l देशी खद्दर का देशी पहनावा जीवन के अंतिम क्षणों तक उनका साथी रहा l
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