Wednesday 27 September 2017

अशांति का कारण है ----- नारी - उत्पीड़न

  जिस  भी  समाज  में  नारी  को  शारीरिक  और  मानसिक  रूप  से  उत्पीड़ित  किया  जाता  है ,  वहां  अशान्ति  होती  है  ,  विकास  अवरुद्ध  हो  जाता  है   l  परिवारों  में   महिलाओं  पर   दहेज़ हत्या , भ्रूण  हत्या  आदि  अनेक  कारणों  से  अत्याचार  होते  हैं   l  पढने- लिखने ,  नौकरी  करने , स्वयं  को  सक्षम  बनाने   के  लिए  जब  वे  घर  से  बाहर  जाती  हैं   तो  वहां  भी  उत्पीड़न  होता  है  l
  नारी  उत्पीड़न  के  लिए  कोई  एक  विशेष  वर्ग ,  विशेष  धर्म ,  विशेष  जाति,  समूह  जिम्मेदार  नहीं  है  ,  इसका  मुख्य  कारण    है  पुरुषों  की  मानसिकता ,  उनकी  शोषण  करने   और  हुकूमत  ज़माने   की   प्रवृति  l   समस्या  इसलिए  विकट  हो  गई  है  कि   अब  वासना , कामना  और  धन   की    तृष्णा  ने  पुरुषों  में  कायरता  को  बढ़ा  दिया  है  l  पहले  के  पुरुषों  में  स्वाभिमान  था ,  वे   महिलाओं  से  मदद  लेना  अपने  पौरुष  के  विरुद्ध  समझते  थे   लेकिन  अब  पुरुषों  ने  नारी - सुलभ  कमजोरियों   और  उनके   घर - बाहर  के  दोहरे   दायित्व    की   उनकी  व्यस्तता   का  लाभ  उठाकर   उन्हें  भ्रष्टाचार  का    माध्यम  बना  लिया  है  l  पहले  केवल  पुरुष  भ्रष्टाचार  में  लिप्त  थे   लेकिन  अब  उन्होंने  अपने  दांवपेंच  लगाकर   महिलाओं  को  भी  जोड़  लिया  l   इससे  समाज  में  भ्रष्टाचार  और  अपराध   दोनों  बढ़े  हैं   l   अनेक  महिलाओं  को  तो  इस  बात  का  ज्ञान  ही  नहीं  होता  कि  उनकी  योग्यता  और  कुशलता  का  कोई  फायदा  उठा  रहा  है ,  कुछ  को  ज्ञान  होता  है   लेकिन  वे  अपनी  कमजोरियों  के  कारण  चुप  रहती  हैं   या  यों  कहें  कि  चक्रव्यूह  में  फंसकर  निकलना  मुश्किल  होता  है  l     कुछ  महिलाएं  जिनका  विवेक  जाग्रत  है ,  जिन  पर  ईश्वर  की  कृपा  है   वे  इस  जाल  से  बच   जाती  हैं    तो  ' हारे  हुए  जुआरी '   की   तरह  पुरुष  उसका  जीना  मुश्किल  कर  देते  हैं  l
   नारी  शिक्षित  हो  या  न  हो  ,  परिवार  में ,  समाज  में  उसका  उत्पीड़न  हर  हाल  में  है  l   इस  स्थिति  से  उबरने  के  लिए   नारी  को  ही   जागरूक  होना  पड़ेगा   l  शिक्षित  होने  के  साथ  ही  जीवन  जीने  की  कला  का  ज्ञान  जरुरी  है  l   माँ  दुर्गा  की  पूजा  ही  पर्याप्त  नहीं  है  ,  हमें  सद्गुणों  को  अपने  आचरण  में  लाना  होगा   l 

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