प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन अपने लिए सुन्दर दुनिया स्वयं बनानी पड़ती है l सुख - शान्ति से वही व्यक्ति जीवन जी सकता है जिसके पास विवेक हो , सद्बुद्धि हो l सद्बुद्धि कहीं बाजार में नहीं मिलती और न ही इसे कोई सिखा सकता है l लोभ , लालच , स्वार्थ , ईर्ष्या, अहंकार , झूठ , बेईमानी , धोखा , अनैतिक कार्य जैसे दुर्गुणों को त्यागने का प्रयास करने के साथ जब कोई निष्काम कर्म करता है , तब धीरे - धीरे उसके ये विकार दूर होते है और निर्मल मन होने पर ईश्वर की कृपा से उसको सद्बुद्धि मिलती है l सद्बुद्धि न होने पर संसार के सारे वैभव होने पर भी व्यक्ति अशांत रहता है l अपनी दुर्बुद्धि के कारण छोटी सी समस्या को बहुत बड़ी समस्या बना लेता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
No comments:
Post a Comment