यह भी एक आश्चर्य है कि समाज में भयभीत वे लोग होते हैं जिनके पास धन , पद - प्रतिष्ठा सब कुछ होता है l उन्हें हर वक्त उसके खोने का भय सताता रहता है l रावण के पास सोने की लंका थी , शनि , राहु, केतु सब उसके वश में थे लेकिन वो वनवासी राम से भयभीत था l ऐसे ही दुर्योधन था , उसने पांडवों का छल से राज्य हड़प लिया , उन्हें वनवास दे दिया लेकिन फिर भी वह उनसे भयभीत था , उन्हें समाप्त करने की नई- नई चालें चलता था l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
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