एक जमाना था -- जब डाकू होते थे , पहले से ही घोषणा कर के डाके डालने आया करते थे l उनका भी ईमान था , धर्म था , देवी के भक्त थे और समाज से बाहर बीहड़ों में रहते थे l लेकिन अब भ्रष्टाचार के युग ने सब पर लीपापोती कर दी l अब तो अपराधी शराफत का नकाब पहन कर समाज में सब के साथ हिल -मिल कर रहता है l विज्ञान के युग में लोगों के पास दूसरों का शोषण करने के बहुत हथकंडे हैं l थोड़े बहुत अपराध तो हर युग में होते रहे हैं , लेकिन तब लोग अपराधियों को , गुंडों को अपने समाज , अपनी जाति से बहिष्कृत कर देते थे l आज की स्थिति में यदि किसी तरह अपराधी पकड़ भी जाये तो सबूत , गवाह ----- आदि लम्बी प्रक्रिया से वर्षों खुला घूमता है और अपने जैसे अनेक अपराधी तैयार करता है l आज समाज की अधिकांश समस्याएं बुद्धि भ्रष्ट होने से , सद्बुद्धि की कमी से उत्पन्न हुई हैं l स्वतंत्रता से पूर्व , देश की आजादी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए जो देशभक्त भाषण देते , लेख लिखते , अपनी जान जोखिम में डालते उन्हें अति कठोर जेल , काले पानी की सजा , असहनीय कष्ट दिया जाता था लेकिन अब मासूम बच्चियों से बलात्कार करने वाले , छोटे बच्चों का अपहरण कर उन्हें सताने वाले , बड़े - बड़े अपराध करने वाले समाज में खुले घूमते हैं l आज जरुरत है -- ऐसे लोगों की जिनके पास सद्बुद्धि हो , विवेक हो जो जाति व धर्म के आधार पर लोगों को न बांटे l ऐसा भेद हो जिसमे एक ओर ईमानदार, सच्चे और नेक दिल वाले लोग हों और दूसरी तरफ समाज को अंधकार में ले जाने वाले अपराधी , अत्याचारी , अन्यायी हों l इस अंधकार तरफ के लोगों को कठोर सजा भी हो और सुधरने का प्रयास भी हो तभी एक सुन्दर समाज का निर्माण हो सकता है l
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