' अशान्ति भी संक्रामक रोग की तरह है , अशान्त मन - मस्तिष्क के व्यक्ति अपने क्रिया - कलापों से आसपास के लोगों को अशांत करते हैं और इस तरह अशान्ति का क्षेत्र बढ़ता जाता है l
पशु - पक्षियों को देखें तो वे अपने समुदाय में शान्ति से रहते हैं , ईर्ष्या, द्वेष , अहंकार जैसी कोई दुष्प्रवृत्ति नहीं है , मनुष्यों से उनकी शांति देखी नहीं जाती इसलिए मानव समाज बेजान पशु - पक्षी को भी चैन से जीने नहीं देता l मानव समाज में भी पुरुष और नारी है l संसार का कोई भी देश हो , कोई भी धर्म हो सभी में पुरुषों ने अपने अहंकार और शक्ति के मद में नारी पर अत्याचार किये है l
संसार में जितने बड़े - बड़े युद्ध हुए वे सब पुरुषों के अहंकार की वजह से हुए लेकिन उसके घातक परिणाम स्त्रियों और बच्चों को भोगने पड़े l पुरुष वर्ग अपने बेवजह के अहंकार को कम कर ले , अपने मन को शांत रखे तो संसार में भी शान्ति रहे l आज सबसे बड़ी जरुरत है ---- मन की शान्ति l जब शांत मन के लोग अधिक होंगे , लोगों में सद्बुद्धि होगी , विवेक जाग्रत होगा तभी शान्ति होगी l
पशु - पक्षियों को देखें तो वे अपने समुदाय में शान्ति से रहते हैं , ईर्ष्या, द्वेष , अहंकार जैसी कोई दुष्प्रवृत्ति नहीं है , मनुष्यों से उनकी शांति देखी नहीं जाती इसलिए मानव समाज बेजान पशु - पक्षी को भी चैन से जीने नहीं देता l मानव समाज में भी पुरुष और नारी है l संसार का कोई भी देश हो , कोई भी धर्म हो सभी में पुरुषों ने अपने अहंकार और शक्ति के मद में नारी पर अत्याचार किये है l
संसार में जितने बड़े - बड़े युद्ध हुए वे सब पुरुषों के अहंकार की वजह से हुए लेकिन उसके घातक परिणाम स्त्रियों और बच्चों को भोगने पड़े l पुरुष वर्ग अपने बेवजह के अहंकार को कम कर ले , अपने मन को शांत रखे तो संसार में भी शान्ति रहे l आज सबसे बड़ी जरुरत है ---- मन की शान्ति l जब शांत मन के लोग अधिक होंगे , लोगों में सद्बुद्धि होगी , विवेक जाग्रत होगा तभी शान्ति होगी l
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