अहंकार से ग्रस्त लोग किसी एक देश या धरती से बंधे नहीं है वरन सारे संसार में इस दुर्गुण से ग्रस्त व्यक्ति हैं इसीलिए सारे संसार में लूटपाट , हत्या आदि अपराधिक घटनाएँ बढ़ रही हैं l यदि लोगों की रोटी , कपड़ा, मकान जैसी अनिवार्य जरुरत सम्मान के साथ पूरी हो जाएँ और रोजगार से उसकी ऊर्जा का सदुपयोग हो जाये तो एक सामान्य व्यक्ति अपराधिक गतिविधियों में संलग्न नहीं होता l लेकिन जब धन , पद और जातिगत अहंकार से ग्रस्त व्यक्ति गरीबों का शोषण करते हैं , उनका खून चूसकर अपनी सात पीढ़ियों के लिए संपत्ति जोड़ते हैं और पग - पग पर उन्हें तिरस्कृत करते हैं , तब धीरे - धीरे यही शोषित वर्ग संगठित होकर या किसी भी तरीके से समाज से बदला लेता है | शोषण और तिरस्कार की प्रतिक्रिया स्वरुप ऐसे अँगुलियों पर गिने जाने वाले बहुत कम लोग होते हैं जो संघर्ष कर महानता के स्तर पर पहुँच जाएँ l गरीबी और अपमान की आग में झुलसते व्यक्ति में बदले की भावना आ जाती है l यह स्थिति सम्पूर्ण समाज के लिए खतरा है l
इस धरती पर जीने का हक सबको है , मनुष्य , जीव जंतु , पेड़ पौधे निर्जीव , सजीव सबको धरती पर रहने का हक है | ' जियो और जीने दो ' से ही शान्ति होगी l
इस धरती पर जीने का हक सबको है , मनुष्य , जीव जंतु , पेड़ पौधे निर्जीव , सजीव सबको धरती पर रहने का हक है | ' जियो और जीने दो ' से ही शान्ति होगी l
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