माँसाहारी होने के कारण अब मनुष्यों में पशुता बढ़ती जा रही है । नशा करने और मांसाहार करने से मनुष्य में उस पशु के लक्षण आ जाते हैं जिनका वह मांस खाता है । ऊपर से दिखने में वे मनुष्य हैं लेकिन उनकी प्रवृतियां पशुओं जैसी है , जिनमे करुणा, संवेदना जैसे कोई सद्गुण नहीं हैं , उस पर से धन के लालच ने मनुष्य की बुद्धि को कुंठित कर दिया है । धन प्राप्त करने के लिए , समाज में अपना रुतबा बनाये रखने के लिए अब वह सही - गलत कुछ भी कर सकता है ।
आज समाज में बड़े बदलाव की जरुरत है क्योंकि आज समाज में लूटपाट , हत्या , भ्रष्टाचार , दूसरों का हक छीनना, महिलाओं के प्रति अपराध , शारीरिक , मानसिक उत्पीड़न आदि अपराध कोई विदेशी नहीं कर रहा । अपने ही अपनों को सता रहे हैं ।
गलत आचार - विचार और मनुष्य की दूषित प्रवृतियों के कारण ही समाज में अशान्ति है ।
आज समाज में बड़े बदलाव की जरुरत है क्योंकि आज समाज में लूटपाट , हत्या , भ्रष्टाचार , दूसरों का हक छीनना, महिलाओं के प्रति अपराध , शारीरिक , मानसिक उत्पीड़न आदि अपराध कोई विदेशी नहीं कर रहा । अपने ही अपनों को सता रहे हैं ।
गलत आचार - विचार और मनुष्य की दूषित प्रवृतियों के कारण ही समाज में अशान्ति है ।