इस संसार में अनेक लोग ऐसे हैं जो बहुत परिश्रमी हैं और अपने कार्य में ईमानदार हैं लेकिन यदि उनकी दिशा गलत है तो ये सद्गुण व्यर्थ हो जाते हैं , उनसे सुख - चैन की जिन्दगी , मन की शान्ति जैसा कुछ नहीं मिलता । जैसे एक व्यक्ति नशे का व्यापार करता है --- वह इस कार्य को बड़ी मेहनत से करता है , इस व्यापार में हजारों लोग लगे हैं जो बड़ी मेहनत और ईमानदारी से नशे के कारोबार को अन्य देशों में फैला देते हैं , बच्चों और युवाओं को नशे की लत लगा देते हैं ---- तो ऐसा कार्य जिससे समाज का पतन हो जाये , लोगों का जीवन बर्बाद हो जाये -- उनमे परिश्रम करने से , बुरे कार्यों में ईमानदारी से जुड़े रहने से सुकून की जिन्दगी नहीं मिलती । देखने में ऐसा लगता है कि बहुत धन जोड़ लिया लेकिन वास्तव में ऐसा कार्य कर के व्यक्ति स्वयं अपने लिए और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए दुःख और कष्ट का इंतजाम करता है ।
धन के लालच में लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है , छोटे - छोटे और तात्कालिक लाभ के लिए वे अपराधिक कार्यों की श्रंखला से जुड़ जाते हैं फिर पूजा , प्रार्थना , कर्मकांड कुछ भी कर लें उन्हें कोई लाभ नहीं होता है । इसी तरह एक व्यक्ति न तो मांस खाता है न शराब पीता है लेकिन बड़ी मेहनत से गाय , भैस ढूंढ कर , चोरी कर कसाई के पास पहुंचाता है तो यह उसका भयंकर पाप कर्म हुआ । प्रकृति में ऐसे पापों के लिए क्षमा का कोई प्रावधान नहीं है ।
धन के लालच में लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है , छोटे - छोटे और तात्कालिक लाभ के लिए वे अपराधिक कार्यों की श्रंखला से जुड़ जाते हैं फिर पूजा , प्रार्थना , कर्मकांड कुछ भी कर लें उन्हें कोई लाभ नहीं होता है । इसी तरह एक व्यक्ति न तो मांस खाता है न शराब पीता है लेकिन बड़ी मेहनत से गाय , भैस ढूंढ कर , चोरी कर कसाई के पास पहुंचाता है तो यह उसका भयंकर पाप कर्म हुआ । प्रकृति में ऐसे पापों के लिए क्षमा का कोई प्रावधान नहीं है ।
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