संसार में अमीर - गरीब , ऊँच - नीच , कमजोर - शक्तिसंपन्न , मालिक - नौकर के बीच जो अन्तर है , वह इतना दुःखद नहीं है । समाज में अशान्ति और असंतोष उत्पन्न होने का बहुत बड़ा कारण है कि ---- जो लोग धनवान हैं , शक्ति संपन्न हैं , उनमे अहंकार होता है और इस अहंकार की तृप्ति न होने के कारण वे लोगों की खिल्ली उड़ा कर , उनका तिरस्कार कर अपने को बहुत बड़ा और हर तरह से योग्य सिद्ध करने की कोशिश करते हैं ।
कई लोग अपमान व तिरस्कार सहन कर उसे अपनी ताकत बना लेते हैं और उन्नति के शिखर पर आगे बढ़ते जाते हैं । निरन्तर अपमान व तिरस्कार सहने वाले को यदि कहीं अपनापन और सम्मान मिले तो उसका झुकाव उस ओर हो जाता है । यदि अपनापन और सम्मान देने वाला चालाक है , ऐसे कार्यों में संलग्न है जिससे समाज में अत्याचार बढ़ता है , तो वह उनकी कमजोरी का फायदा उठाकर उनकी प्रतिभा का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करने लगते हैं । यह स्थिति समाज के लिए घातक होती है ।
महाभारत का एक पात्र है ---- कर्ण --- ये महादानी था , बहुत पराक्रमी था , भगवान कृष्ण स्वयं उसकी प्रशंसा करते थे लेकिन समाज ने पग - पग पर उसका तिरस्कार किया ' सूत - पुत्र ' कहकर उसकी खिल्ली उड़ाई । दुर्योधन ने जो अत्याचारी और अन्यायी तो था लेकिन चालाक भी था , उसने कर्ण को सहारा दिया , भरी सभा में उसका तिलक कर उसे अंगदेश का राजा बना दिया जिससे कर्ण जैसा वीर और दानी उसकी मित्रता का ऋणी हो गया ।
कर्ण को जब यह ज्ञात भी हो गया कि वह सूर्य पुत्र है , महारानी कुन्ती उसकी माँ हैं , तब भी उसने दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ा और आखिरी सांस तक अर्जुन के विरुद्ध युद्ध कर दुर्योधन की मित्रता का कर्ज चुकाया ।
आज समाज को जागरूक होने की जरुरत है , कोई अत्याचारी , अन्यायी हमारी कमजोरी का फायदा न उठा ले । अपने मन को मजबूत बनायें , और ईश्वर से प्रार्थना कर जीवन का सही मार्ग चुने ।
कई लोग अपमान व तिरस्कार सहन कर उसे अपनी ताकत बना लेते हैं और उन्नति के शिखर पर आगे बढ़ते जाते हैं । निरन्तर अपमान व तिरस्कार सहने वाले को यदि कहीं अपनापन और सम्मान मिले तो उसका झुकाव उस ओर हो जाता है । यदि अपनापन और सम्मान देने वाला चालाक है , ऐसे कार्यों में संलग्न है जिससे समाज में अत्याचार बढ़ता है , तो वह उनकी कमजोरी का फायदा उठाकर उनकी प्रतिभा का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करने लगते हैं । यह स्थिति समाज के लिए घातक होती है ।
महाभारत का एक पात्र है ---- कर्ण --- ये महादानी था , बहुत पराक्रमी था , भगवान कृष्ण स्वयं उसकी प्रशंसा करते थे लेकिन समाज ने पग - पग पर उसका तिरस्कार किया ' सूत - पुत्र ' कहकर उसकी खिल्ली उड़ाई । दुर्योधन ने जो अत्याचारी और अन्यायी तो था लेकिन चालाक भी था , उसने कर्ण को सहारा दिया , भरी सभा में उसका तिलक कर उसे अंगदेश का राजा बना दिया जिससे कर्ण जैसा वीर और दानी उसकी मित्रता का ऋणी हो गया ।
कर्ण को जब यह ज्ञात भी हो गया कि वह सूर्य पुत्र है , महारानी कुन्ती उसकी माँ हैं , तब भी उसने दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ा और आखिरी सांस तक अर्जुन के विरुद्ध युद्ध कर दुर्योधन की मित्रता का कर्ज चुकाया ।
आज समाज को जागरूक होने की जरुरत है , कोई अत्याचारी , अन्यायी हमारी कमजोरी का फायदा न उठा ले । अपने मन को मजबूत बनायें , और ईश्वर से प्रार्थना कर जीवन का सही मार्ग चुने ।
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