आज के समय में जब पाप , अपराध , भ्रष्टाचार , अत्याचार , अन्याय बढ़ता ही जा रहा है , ऐसी स्थिति में अपने अस्तित्व की रक्षा करने के लिए व्यक्ति को कर्मयोगी बनना होगा । इसके लिए कर्तव्यपालन में ईमानदारी और नैतिकता होनी चाहिए । बुराई का साम्राज्य बहुत बड़ा और संगठित है , उसका सामना करने और स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए दैवी कृपा की जरुरत है ।
मनुष्य बुराई की तरफ बड़ी जल्दी आकर्षित हो जाता है लेकिन ईश्वर अच्छाई की ओर आकर्षित होते हैं । इसलिए जो लोग सद्गुणी हैं , सन्मार्ग पर चलते हैं , निष्काम कर्म करते हैं उन्हें दैवी सहायता प्राप्त होती है जो तमाम मुसीबतों से उनकी रक्षा करती है ।
जैसे दुर्योधन के पास भगवान कृष्ण की ग्यारह अक्षोहिणी सेना थी एक से बढ़कर एक वीर राजा उसके पक्ष में थे , फिर भी महाभारत के युद्ध में वह बन्धु - बान्धवों समेत मारा गया । लेकिन पांडव अकेले थे , वे धर्म और न्याय पर थे , उनके साथ भगवान कृष्ण स्वयं थे , वे निहत्थे थे लेकिन उनका आशीर्वाद पांडवों के साथ था , इसलिए पांडव विजयी हुए ।
मनुष्य बुराई की तरफ बड़ी जल्दी आकर्षित हो जाता है लेकिन ईश्वर अच्छाई की ओर आकर्षित होते हैं । इसलिए जो लोग सद्गुणी हैं , सन्मार्ग पर चलते हैं , निष्काम कर्म करते हैं उन्हें दैवी सहायता प्राप्त होती है जो तमाम मुसीबतों से उनकी रक्षा करती है ।
जैसे दुर्योधन के पास भगवान कृष्ण की ग्यारह अक्षोहिणी सेना थी एक से बढ़कर एक वीर राजा उसके पक्ष में थे , फिर भी महाभारत के युद्ध में वह बन्धु - बान्धवों समेत मारा गया । लेकिन पांडव अकेले थे , वे धर्म और न्याय पर थे , उनके साथ भगवान कृष्ण स्वयं थे , वे निहत्थे थे लेकिन उनका आशीर्वाद पांडवों के साथ था , इसलिए पांडव विजयी हुए ।
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