समाज में होने वाले अपराध , शोषण , अनैतिक कार्य , उत्पीड़न, अत्याचार आदि के कारण ही अशांति रहती है । पहले जो अपराधी होते थे , उन्हें लोग समाज से बहिष्कृत कर देते थे , उनसे दूर रहते थे । उसके प्रायश्चित करने पर , सुधर जाने पर उसे पुन: समाज में लिया जाता था , इसलिए लोग अपराध करने से डरते थे ।
लेकिन आज के समय में अपराधी समाज में ही घुल - मिलकर रहते हैं ।
एक व्यक्ति भी जब कोई मर्यादा का उल्लंघन करता है , अनैतिक कार्य , अपराध करता है , किसी भी कारण से वह दण्डित होने से बच जाता है , और समाज उसे स्वीकार कर लेता है तो उससे अन्य लोगों को भी शह मिलती है । फिर अपराध का सिलसिला शुरू हो जाता है ।
अपराध चाहे छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को कष्ट देता है ।
आज के समय में पहचानना मुश्किल है कि वास्तविक अपराधी कौन है ? अपराध करता हुआ कोई दीखता है लेकिन उसके पीछे वास्तविक अपराधी कौन है , यह जानना मुश्किल है ।
जब लोग प्रकृति के दंड विधान से डरेंगे , आँखे खोलकर अपने जीवन में देखेंगे कि गलत कार्य करने से कितनी सुख - शान्ति मिल गई ? यह सत्य समझना जरुरी है ।
लेकिन आज के समय में अपराधी समाज में ही घुल - मिलकर रहते हैं ।
एक व्यक्ति भी जब कोई मर्यादा का उल्लंघन करता है , अनैतिक कार्य , अपराध करता है , किसी भी कारण से वह दण्डित होने से बच जाता है , और समाज उसे स्वीकार कर लेता है तो उससे अन्य लोगों को भी शह मिलती है । फिर अपराध का सिलसिला शुरू हो जाता है ।
अपराध चाहे छोटा हो या बड़ा व्यक्ति को कष्ट देता है ।
आज के समय में पहचानना मुश्किल है कि वास्तविक अपराधी कौन है ? अपराध करता हुआ कोई दीखता है लेकिन उसके पीछे वास्तविक अपराधी कौन है , यह जानना मुश्किल है ।
जब लोग प्रकृति के दंड विधान से डरेंगे , आँखे खोलकर अपने जीवन में देखेंगे कि गलत कार्य करने से कितनी सुख - शान्ति मिल गई ? यह सत्य समझना जरुरी है ।
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