ईश्वर विश्वास का अर्थ है ---- सन्मार्ग पर चलना , दुर्गुणों को त्याग कर सद्गुणों को अपनाना , सत्कर्म करना , कभी किसी का अहित नहीं करना --- निष्काम कर्म करना जिससे ईश्वर प्रसन्न हों और हमें उनकी कृपा मिले ।
आज के समय में लोगों को यह सब कार्य बहुत कठिन लगता है इसलिए लोग केवल कर्मकांड कर के स्वयं को आस्तिक बताते हैं और समाज में अपने छोटे - बड़े , उचित - अनुचित कार्यों के लिए , अपना रुतबा बनाये रखने के लिए शक्तिसंपन्न लोगों का , ' गुंडों ' का सहारा लेते हैं । इसी लिए जब ये ' गुंडे ' अनैतिक कार्य करते हैं , लोगों पर अत्याचार करते हैं तब सब आँखों पर पट्टी बाँध कर चुप रहते हैं l आज स्वार्थ ने व्यक्ति को अन्धा बना दिया है, लोग केवल अपना हित देखते हैं । इसी वजह से सारे संसार में अशान्ति है l
आज के समय में लोगों को यह सब कार्य बहुत कठिन लगता है इसलिए लोग केवल कर्मकांड कर के स्वयं को आस्तिक बताते हैं और समाज में अपने छोटे - बड़े , उचित - अनुचित कार्यों के लिए , अपना रुतबा बनाये रखने के लिए शक्तिसंपन्न लोगों का , ' गुंडों ' का सहारा लेते हैं । इसी लिए जब ये ' गुंडे ' अनैतिक कार्य करते हैं , लोगों पर अत्याचार करते हैं तब सब आँखों पर पट्टी बाँध कर चुप रहते हैं l आज स्वार्थ ने व्यक्ति को अन्धा बना दिया है, लोग केवल अपना हित देखते हैं । इसी वजह से सारे संसार में अशान्ति है l
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