सुविधाएँ जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं, पर विभिन्न सुविधाओं के साथ हमे बहुत सावधान रहने की जरुरत है क्योंकि सुविधाएँ मनुष्य को आलसी बना देती हैं । यदि जीवन में आलस्य जैसा दुर्गुण आ गया तो फिर व्यक्ति का उद्धार नहीं है ।
विभिन्न सुविधाओं में रहने, आरामतलबी का जीवन जीने से प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है । शारीरिक श्रम न करने से मोटापा, मधुमेह आदि विभिन्न बीमारियाँ हो जाती हैं ।
इसका अर्थ यह नहीं कि हम सुविधाओं को त्याग दें । धन-दौलत , सुख-वैभव भी बड़े भाग्य से मिलता है , यदि आप के पास यह सब है तो निश्चित मानिये कि आप ने पिछले जन्म में बहुत नेक कर्म किये होंगे तभी प्रकृति ने प्रसन्न होकर ये नियामत आपको दी है ।
अब यदि आप चाहते हैं कि धन-संपन्नता के साथ सुख-शान्ति हो, जीवन की गाड़ी पटरी पर सरलता से चले तो 24 घंटे में से कुछ समय ऐसे सकारात्मक कार्यों में दें जिसमे शारीरिक श्रम के साथ पुण्य कार्य , समाज सेवा भी हो जाये । सत्कर्म करने से मन को असीम शान्ति मिलती है ।
ऐसे कार्यों में दिखावा नहीं होना चाहिए । सत्कर्म हमारी दिनचर्या में सम्मिलित हों । सरल भाव से किये गये सत्कर्मों का आप अपने जीवन पर व्यापक प्रभाव देखेंगे--- धीरे-धीरे नशा, सिगरेट, मांसाहार आदि बुराइयों से आपको अरुचि होने लगेगी, कठिन समय भी सरलता से निकल जायेगा । धन-संपन्न बनाने के पीछे प्रकृति का यही सन्देश है कि हम सुख-सुविधाओं का जीवन जीते हुए अपने धन का बहुत छोटा सा भाग निर्धनों, अपाहिजों अभावग्रस्त लोगों को खुशी देने में खर्च करें ।
विभिन्न सुविधाओं में रहने, आरामतलबी का जीवन जीने से प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है । शारीरिक श्रम न करने से मोटापा, मधुमेह आदि विभिन्न बीमारियाँ हो जाती हैं ।
इसका अर्थ यह नहीं कि हम सुविधाओं को त्याग दें । धन-दौलत , सुख-वैभव भी बड़े भाग्य से मिलता है , यदि आप के पास यह सब है तो निश्चित मानिये कि आप ने पिछले जन्म में बहुत नेक कर्म किये होंगे तभी प्रकृति ने प्रसन्न होकर ये नियामत आपको दी है ।
अब यदि आप चाहते हैं कि धन-संपन्नता के साथ सुख-शान्ति हो, जीवन की गाड़ी पटरी पर सरलता से चले तो 24 घंटे में से कुछ समय ऐसे सकारात्मक कार्यों में दें जिसमे शारीरिक श्रम के साथ पुण्य कार्य , समाज सेवा भी हो जाये । सत्कर्म करने से मन को असीम शान्ति मिलती है ।
ऐसे कार्यों में दिखावा नहीं होना चाहिए । सत्कर्म हमारी दिनचर्या में सम्मिलित हों । सरल भाव से किये गये सत्कर्मों का आप अपने जीवन पर व्यापक प्रभाव देखेंगे--- धीरे-धीरे नशा, सिगरेट, मांसाहार आदि बुराइयों से आपको अरुचि होने लगेगी, कठिन समय भी सरलता से निकल जायेगा । धन-संपन्न बनाने के पीछे प्रकृति का यही सन्देश है कि हम सुख-सुविधाओं का जीवन जीते हुए अपने धन का बहुत छोटा सा भाग निर्धनों, अपाहिजों अभावग्रस्त लोगों को खुशी देने में खर्च करें ।