मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और एक व्यक्ति के कार्यों का सम्पूर्ण समाज पर प्रभाव पड़ता है |
साहित्य, फ़िल्म, नृत्य आदि को देखने, पढ़ने से लोगों की मानसिकता प्रभावित होती है । यदि ये सब उच्च स्तर का है तो लोग भी उच्च दिशा में आगे बढ़ते हैं |
यदि कोई बात चित्र से समझाई जाये तो जल्दी समझ में आती है । यह हमारा दुर्भाग्य और दुर्बुद्धि है कि फिल्म के कलाकारों के सजीव अभिनय को देखकर जब लोग ताली बजाते हैं, वाह ! वाह! करते हैं, वही द्रश्य मन की शान्ति को छीन लेते हैं । फिल्मों में विभिन्न अपराधों, हिंसा आदि का सजीव अभिनय लोगों के ह्रदय-पटल पर अंकित हो जाता है, अपराधी मनोवृति के लोग ऐसा सजीव अभिनय देखकर सब सीख जाते हैं, यही सब उनके विचारों में चलता रहता है जो समय-समय पर समाज में अपराधिक गतिविधियों के रूप में दिखायी देता है ।
यह स्थिति दोनों पक्षों------ देखने वाले और दिखाने वाले--- के लिए घातक है ।
साहित्य, फ़िल्म, नृत्य आदि को देखने, पढ़ने से लोगों की मानसिकता प्रभावित होती है । यदि ये सब उच्च स्तर का है तो लोग भी उच्च दिशा में आगे बढ़ते हैं |
यदि कोई बात चित्र से समझाई जाये तो जल्दी समझ में आती है । यह हमारा दुर्भाग्य और दुर्बुद्धि है कि फिल्म के कलाकारों के सजीव अभिनय को देखकर जब लोग ताली बजाते हैं, वाह ! वाह! करते हैं, वही द्रश्य मन की शान्ति को छीन लेते हैं । फिल्मों में विभिन्न अपराधों, हिंसा आदि का सजीव अभिनय लोगों के ह्रदय-पटल पर अंकित हो जाता है, अपराधी मनोवृति के लोग ऐसा सजीव अभिनय देखकर सब सीख जाते हैं, यही सब उनके विचारों में चलता रहता है जो समय-समय पर समाज में अपराधिक गतिविधियों के रूप में दिखायी देता है ।
यह स्थिति दोनों पक्षों------ देखने वाले और दिखाने वाले--- के लिए घातक है ।