आज मानसिक शांति सब चाहते हैं | शांति के लिए सभाएं होती हैं, शिविर लगते हैं, तरह-तरह के प्रयास किये जाते हैं लेकिन शांति नहीं है । जो युवा हैं , बड़ी उम्र के है उन्हें तो समझाया जा सकता है लेकिन जो छोटे -छोटे बच्चे हैं , जिनके कोमल मन हैं , हर तरह के सीरियल व फिल्में देखते है । आज के समय में सबसे ज्यादा परेशान बच्चे ही है , माता -पिता धन कमाने में व्यस्त हैं , बच्चे अपनी व्यथा , अपनी समस्या किसी से नहीं कह पाते ।
आज जो परिपक्व आयु के व्यक्ति हैं यह उनके सोचने की बात है कि वे आने वाली पीढ़ियों को क्या दे जायेंगे ? केवल धन कमाने के लिए हर तरह का साहित्य , हर तरह की फिल्में , अपना स्वार्थ , भ्रष्टाचार , लालच , छल -कपट ! जिस व्यक्ति के पास जो कुछ है वह वही आने वाली पीढ़ियों को देकर जाता है ।
यह हम सबको समझना है कि धरती पर बढ़ते पाप , अत्याचार , शोषण , अन्याय से प्रकृति नाराज हो गई । प्रकृति का क्रोध कब कहां , किस रूप में व्यक्त हो कोई नहीं जानता ।
ऐसा नहीं है कि धरती पर पुण्यात्मा नहीं है , एक -से -एक बड़े दानी , महात्मा और सत्पुरुष हैं , जिनके पुण्य से यह धरती टिकी है लेकिन भ्रष्टाचार और लालच लोगों में इतना है कि वे उनके कार्यों में भी पहले अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं ।
हम इस सत्य को समझें कि हम जो करते हैं और जो सोचते हैं उन सब पर ईश्वर की नजर है , प्रकृति ही ईश्वर है , हम ईश्वर से डरें और सन्मार्ग पर चलें ।
आज जो परिपक्व आयु के व्यक्ति हैं यह उनके सोचने की बात है कि वे आने वाली पीढ़ियों को क्या दे जायेंगे ? केवल धन कमाने के लिए हर तरह का साहित्य , हर तरह की फिल्में , अपना स्वार्थ , भ्रष्टाचार , लालच , छल -कपट ! जिस व्यक्ति के पास जो कुछ है वह वही आने वाली पीढ़ियों को देकर जाता है ।
यह हम सबको समझना है कि धरती पर बढ़ते पाप , अत्याचार , शोषण , अन्याय से प्रकृति नाराज हो गई । प्रकृति का क्रोध कब कहां , किस रूप में व्यक्त हो कोई नहीं जानता ।
ऐसा नहीं है कि धरती पर पुण्यात्मा नहीं है , एक -से -एक बड़े दानी , महात्मा और सत्पुरुष हैं , जिनके पुण्य से यह धरती टिकी है लेकिन भ्रष्टाचार और लालच लोगों में इतना है कि वे उनके कार्यों में भी पहले अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं ।
हम इस सत्य को समझें कि हम जो करते हैं और जो सोचते हैं उन सब पर ईश्वर की नजर है , प्रकृति ही ईश्वर है , हम ईश्वर से डरें और सन्मार्ग पर चलें ।